हूं रोज घर आली स्यूं बिनती करूं

तू रोटड़ी बेगी बणाया कर,

हताई बताई रै कामां में,

कीं ‘शार्ट कट’ लगाया कर

बा अकड़’ बोली—‘बात कांई है?’

हूं होलै सी बोल्यो—‘अफसर भोत चांई है।

सूकी पाकी खाय’र मनै तो जाण दे।

अफसर कॉलम में गेडियो मांड दे’।

बा बोली—‘के गेडियो बेलण स्यूँ भारी है’।

हूं बोल्यो—‘जिन्दगी गेडियै अर बेलण रै बीच में री है’।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : करणीदान बारहठ ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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