चतर कुण?

कुरण सूमड़ा?

जीं री पोबारा

वै तो हद चतर!

ज्यां रा फूटग्या

पळमपोळ भरघोड़ा घड़ा

वै सूमड़ा!

नई तो दोन्यू

एक भड़भुज्जै रा

धारणी भूगड़ा!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : उमाचरण महमिया ,
  • संपादक : दीनदयाल ओझा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित संगम अकादमी
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