आय बैठ्यो थूं फेरूं

सुपनां रै गोखड़े

भोळै छानै-छानै

करै रमतिया निजरां सूं

ठगै बंतळ सूं

उतरग्यो हियै मांय

पसरग्यो रूं-रूं

करूं मैसूस धूजतै डील सूं

थनै अर थारै होवण नै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : पवन राजपुरोहित ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि सोध संस्थान राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़
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