थां सूं अळगो कर्यो आपो,
फेरूं पाछी बावड़ी
तद दीन्यो मान।
थूं जद नावड़्यो नवी मंजलां
पाछो नीं बावड़्यो
थूं म्हारै बावड़नै री
इयां हळकाई कर दीनी।