सूरज
डूबग्यौ काळी धार
दिन रा अंधारा में
अर इतरी आसंग कोनी म्हारा में
के म्हें उणनै
बारै काढ सकूं
क्यूंके म्हारा हाथ
म्हारी आंतां में अळूझियोड़ा है
पग कळीजियोड़ा है कादा में
अर माथौ दबियोड़ौ है
कुरसी रै पागै हेटै
पछै आ काळस कुण मेटै
कुण भगावै अंधारा रौ भूत
कुण कीलै
फुफकारा मारती नागण रौ मूंडौ
यूं सब जांणै
नै आछी तरै पिछांणै
के जनानी ड्योढी माथै
नाजरियां रा पौरा लागै है
पण काथौ पीयोड़ां नै
ताळी रा तटका कद दोरा लागै है
तौ भूवाजी फिरग्या है
च्यारूंकूंट
परवारगी है
सगळी रामत
अब म्हनै
भरोसो है तौ फगत
अेक बात रौ
के डाकण
भलां ई छरी मलावती व्हौ
गुठियौ राजा तौ जागै है।