गोको भाज्यां जाय रैयो है,
गावतो जावै, भाजतो जावै
उण रो बेटो
उण रै पगांरी गत
सादां री लय
अर उण री हांफळती सांसां मांय
उण रै सागै-सागै चिपटतो चाल
गोकै रो बेटो मांगियो
सोवणो सरूप नागड़ो
नागड़ी बिलाय नैं दुनिया रा गंडकड़ा
खावण लागग्या।
उण नैं जांघियो सिमाय दीन्यो
पण जांघियै री जगां
अबै एक पूर लटकतो जावै
कुण सिमावै कमेज अर पजामो
गोको बावळियो भाजतो जावै
गैल-गैल मांगियो भाज
दोनूं एक सा, कुण लाजै?