टांग’र

साइकल पर

लांबी-सी धजा

अेक गबरू

चाल्यो है

सालासर धाम।

फरूकती धजा

आवै बार-बार

आंख्यां आगै।

सड़क भरी बगै

साधनां स्यूं।

सोचूं-आ अंध सरधा

ले ल्यै कठैई

बीं री ज्यान।

स्रोत
  • पोथी : आसोज मांय मेह ,
  • सिरजक : निशान्त ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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