सुख जियो हजारां बरस, खुसी सूं राजस्थान जियो

सब जियो देस रा मिनख और भावी संतान जियो

जमी जियो,आकास जियो,अै दरखत-रूंख जियो

मन में धोरा री धरती पर मरणै री भूख जियो

नित छाछ जियो,नित जियां बाजरी, झुक-झुक खेत जियो

ऊठा-बैला रै हेठ म्हारी चम-चम रेत जियो

कुमकुम-केसर रै रग में डूबी भाऊ-बीज जियो

रूंखा पर झूला में बैठी सावण री तीज जियो

नित माघ-फाग म्हीना में होळी री राग जियो

जुग जियो पोमचो मरबण रो, ढोळै री पाग जियो

भूरोडै भुरजा में मूमल री रूठी याद जियो

गळियां में गिरधर नै जोवै, मीरा री साध जियो

म्हारै आलीजै रो अलबेलो ऊंचो सीस जियो

ओठीडै स् ठगियोडी पणियारी री रीस जियो

राखी-पूनम नै भाई-बैना री नित प्रीत जियो

नित सास-बहू, देवर-भाभी नणदल रा गीत जियो

नित लंहगै और ओढणै पर मडियोडा मोर जियो

म्हारै बीकाणै रै मेळै री नित गणगोर जियो

मारू बाजै रै साथ-साथ, कडखै री तान जियो

हलदीघाटी में मरणो माड्यो, वै इसान जियो

मूंछा मरोडती रोबीली रजपूती सान जियो

जौहर री लपटा में जळती सतिया री आन जियो

जिण पियो खून रो लाल कसूबो, वह हथियार जियो

जिण आजादी जीती राखी बा तलवार जियो

चित्तौड जियो, मेवाड जियो, वीरा री खडग जियो

जुग जाधाणै रो किलो आर जयपुर री सड़क जियो

नित छल-भंवर ढोलक री धीमी सी धमक जियो

नित डफा-रम्मता में रमती संस्कृति री चमक जियो

म्हारी पीढी रै लोग-लुगायां रा अरमान जियो

इण दुखी देस रे आसूं में जग री मुसकान जियो

नित फूलां सिरसा दिवस और कळियां सी रात जियो

म्हारी जनता में नव-नव जीवण री बात जियो

बा याद पुराणी जिया और आगै री आस जियो

भारत रै आभै में रवि सा म्हारा इतिहास जियो

सुख जियो हजारा बरस खुसी सूं राजस्थान जियो

सब जियो देस रा मिनख और भावी संतान जियो।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : रामदेव आचार्य ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण
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