घड़ी ना कांटा, दौडी रया हैं,

अेक बीजा ने वाहें।

कारेक अेक आगे, बीजो वाहें।

कारेक अेक वाहें, बीजो आगे।

अणी दौड मअे न्हें पडी खबर,

कारे थई हांज, कारे हवार।

नके करो सड़ा-सड़ी,

अेक बीजा ने जोईने।

नेकरी जाअेगा जिंदगी,

घड़ी कांट वजू।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (मई 2023) ,
  • सिरजक : नरेन्द्रपाल जैन ,
  • संपादक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर
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