मायता कितरो पाप कर्‌यो,

कुण करसी, ईण रो हिसाब,

किण’री प्रीत न,

किण’र सागी बांधी,

अणचायां, मना एक कर्‌या,

नट’बी ना सकोला,

चंवरी री आ’ग देखी है,

बंधता गठजोड़ा,

हुवंता पाप।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : तुषार पारीक ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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