घसूल्या को सभाव छै,
पांव में
गड़्यां पाछै
पाकबो, फूटबो
दनां तांई तरड़ाबो अर अरड़ाबो।
मट ही जावै छै
महीना दो महीनां पाछै
घाव अर दूखबो
पण बातां का घसूल्या
न तो कदी पाकै
अर न फूटै
अर सालता रहै छै
दनां तांई
काळज्या के भीतर
अर कदी-कदी तो
जूण जातरा के
आखरी पड़ाव तांई।