घर कठै है

तौ थूं मां।

गवाड़ी में

रिगदोळीजियोड़ौ पड़ियौ है

थारौ हेत,

बारणै माथै

चिपियोड़ा है थारा हाथ,

आंगणै

नीपीजियोड़ी है थारी सांस

रसोई में

रांधीजै है थारी जूंण।

मैफिल सजाय

बाजोट रै ओळै-दोळै

बैठां हां म्हे।

दुबारै री छाक लेय

उडीकां हां

जीमण नै।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम