जद-जद

निकळै है वो

संभाळण नै आपरी

नौकरी अर कामकाज...

घर रा लोग

देवण लागै सीख

अर मा, आसीस-

''पूगतां वठै

लिख दीजै कागद

राजी-खुसी रा समाचार!

सुण्यो है

टणकी पड़ै है

गरमी अर ठंड...

जापतो राखजै डील रो

राखजै कपड़ा रो ध्यान

ढंगसर खावजै खुराक

सहन कर लीजै

जो देय इज देवै

कोई दो गाळ

परदेस में कमावण नै जावै है थूं

जुद्ध में नीं..!

ऊंचौ होय

मत बोलजै

मोटा मिनखां सूं...

हेतभाव राखजै

पाड़ौसी सूं

मत करजै बिगाड़

भलांई आय जावै

खुद दो पईसा नीचै

कुळ-कुटम्ब माथै

मत नखावजै

थूंकारौ.!''

सुभाव परणावै

बोल देवै

मोटी बेन-

''मत बैठजै

परदेस में दुख,

जरूत व्है तो

मंगाय लीजै पईसा-टका!

चलाय लेवालां

म्हैं तौ अठै

घरै इज तौ हां

देसावर में नीं

आवतो रेवजै

मौकेसर

बार-तैवार

अेकलौ इज तो नीं

दूजा जीव

लागा है थारै पाछै...''

बस में बैठावण नै

आय पूगै

भाई-भायला

उडता जावै

बातां रा फटकारा!

पूरा जावै

दुनिया-जहान रा समाचार

उतरता जावै-

ओळ्यूं री गै'री घाटियां

बातां बातां में

आय पूगै बस

अर बस में

पूग जावै सामान

अर वो

व्है जावै फट-देणी सूं

बस में असवार...

पलक झपकतां इज

आपरौ ठीयो

छोड़ देवै बस

ऊभा इज रैय जावै

यार-गोठिया..!

ऊभो व्है जाणैं

बड़ला रो रूंख

अर उड़ग्यो व्है

बड़ला माथै बैठ्यो

सुवटियो।

स्रोत
  • पोथी : अंजळ पाणी ,
  • सिरजक : कुन्दल माली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी