कदैई होवतौ हौ घर

घर मांय आंगण

आंगण मांय पळींडौ

पळींडौ मांय पाणी

अर पांणी मांय सपना।

सपनां री रुखाळी करतौ हौ फळसौ।

फळसौ औळखतौ हौ आपणां-पराया नै

ओपरै मिनखां माथै

नजर राखतौ हौ फळसौ

पण फळसौ हरखतो'ई हौ

मिनखां नै देख।

आज अलोप व्हैग्या घर।

अदीठ व्हैग्या आंगणां

कैड़ा पळींडा ?

अर कैड़ा फळसा ?

आज तौ ऊग आई कोरी भींता

घर बणग्या मकान

अलोप व्हैगी मुळक अर रेख

घरां लेलीनौ भेख।

ऊगगी कोरी भीतां

मकान-मकान अर मकान

होटलां अर पेईंगगेस्ट

च्यारूंमेर कोरी भीतां

दुकान–दर-दुकान।

हीयैं मांय बड़ग्यौ

लोभ अर लाभ रौ बागड़बिलाव।

तिजोरियां मायं रोकडिया

अर मां-बाप बारै।

कुण चितारै ?

कुण बहू अर कुण बेटा ?

सगळा पूंजी रा आंधल-घेटा।

अर तीजी पीढ़ी, पोता पोती ?

अै तो मिनखां रै व्हैती।

रुळै मांनखै री जोती

हॅास्टलां मायं।

‘लाड कोड’

अेथ ईंया रौ कांई काम ?

अेथ तौ पईसौ अर चाम

भीतां अर दाम।

प्याला अर जाम।

फळसै साथै

रेतां मांय रळगी ‘राम-राम'।

स्रोत
  • सिरजक : आईदान सिंह भाटी