कानौ जावा मांड्यौ है इसकूल
पाटी ऊपर मांड्वा मांड्यौ है
अेकडै अेक ओ
बगड़े बै ओ।
अेकड़ौ नै बगड़ौ
करतै करतै
ई जीवणी नं
पाव, अरदु, पौणु, अड़ियौ नै
औंटू सीखवा मांडी ग्यो है ।
रोज संधियाकाळ मईं
इनैं बौलवा पड़ैं घड़िया
नै करवौ पड़ै
हेत्ता दाड़ा ना
पल-पल नौ हिसाब ।
सूरज अुगै रौज रौटला नौ
सवाल लई नै
नै आथ मै
कालै नी चिंता आली नै।
अेकड़ै अेक थकी मांडी नै
अळदा ऊंटा सूधी ना घड़ियं मईं
इनै घड़ियैस् देखांअे,
कईक नवु थई जावा नी
मनछा मईं।
झट-झट बौली जाय
पण खतम थया पूठै
फांफां मारवा नै सवाय
कईं देखातु नथी
देखाय तो बस ! अंधारू स् अंधारू,
अुजवाळा नी वाड़ जोवा मईं
मीलं लाम्बी रातर
अजगर थई नै सामी आवै,
फिरी घड़ियं वेळा थाय
नै संभावनाअं नु कुकडू
बौली जाय।
आठ नौव वरस नौ कानौ
इनै बाप नै जीवतै
भणावी गणावी नै
मोटौ अफसर बणवा ना
सपनां मईं लाड़ प्यार थकी
ईसकूल मईं भणवा मोकलातौ
नै रात दाड़ौ
मन लगावी नै भणतौ
हेत्ती कक्षा मईं सब थकी अव्वल
घड़िया मोड़ै फर्राटा बन्दी।
अेक वरस थाई गयु
काना नौ बाप
जे पुलिस मईं हत्तौ
सहर ना दंगा मईं
पीलाई ग्यौ
कानौ वगर बाप नौ थाईग्यौ ।
इनी आई (मां)
लोकं ना घर मईं
दण्णं दळै, वाहीदं वाळै
पाणी भरै
नै दमा नी बीमारी मईं
जीवणी ना सांस झट झट भरै।
काना नै नानां भाई बैन राखव
आई नी सेवा करवी
नै केक काम चाले त
नानं नानं हाथं थकी
तगारं तोकै नै आपड़ा परवार ना
सांझ ना रोटला नी
सगवड़ करै।
कानौ, तगारं नाखै
नै घड़िया बोलतो जाय
पण हवै ई घड़िया
घड़ियं ना ढंगे नथी बौलाता
कैक बै ना चार थाई जई
नै कैक अड़ियं नं पौणं थई जंई
सब घड़िया अेक बीजा मई
खौवाई, गौवाई ग्या हैं,
नै इनै बाप ना सपनं नौ अफसर
अवड़ैस काना नै सामौ आवै
नै काना नै
बे चार ऊंदं सामं
सम्भळावी जाय
काना ना कान खेंची जाय।
खरा जेठ ना तपता तावड़ा मईं
कानौ छाण मेळब्बा जाय
तपियौ थकौ घिवड़ौ
इनै आंखां मईं दम लावी आले
पोगै बळी बळी नै दौड़े
पगलां घड़िया बोलै
नै दौड़ी नै ऊभौ रई जाय
अेक छाण ना पोईटा मईं।
अेक सान्ति नी सांस
आनन्द नौ आभास
घड़िया अेस पूरा थएं।
फिरी घड़ियं नौ सहारौ लई
भावी नी मनछाअं नां
छाणँ थापै
नै हवै इना घड़िया
सौ थकी ब सौ नै वच्चे
भटकता रईं
चटकता रईं
खटकता रईं।