गांव री सौरम रग—रग में समाई,

जठै देखूं, देवै पग—पग दिखाई।

पीपळ—बरगद—नीम री घणेरी छाया,

जठै प्यारो बचपन बितायो,

बाल सखा सागै खूब पींगा चढ़ाई,

जठै देखूं, देवै पग—पग दिखाई।

पनघट माथै सखियां री टोळी,

बोलै—बतळावै करै हंसी ठिठोळी,

पाणी री गगरी कमर लटकावै, माथै चढ़ाई,

जठै देखूं, देवै पग—पग दिखाई।

कोयल री कूकती मीठी बोली,

रंग—बिरंगी इंद्रधनुषी होळी,

फूलां रै चमन सी महक आई,

जठै देखूं, देवै पग—पग दिखाई।

ताल—तलैया मांय कमल खिलतां,

आथूणै सूरज री लालिमा पाणी दीठै,

निरमळ गांव री भोर सुहावणी,

जठै देखूं, देवै पग—पग दिखाई।

मनमोवणा चितराम, लेहरावै धान,

मनमौजी घणा है गांव रा किसान,

स्हैर री लागै वठै फीकी मिठाई,

जठै देखूं, देवै पग—पग दिखाई।

स्रोत
  • पोथी : हूंस री डोर ,
  • सिरजक : हरीश सुवासिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर
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