बीस बरस ताणी

सै’र री आपाधापी सूं

उथप’र गयो गांव,

जठै म्हारै टाबरपणै

जवानी अर

बुढापै रा दिन कट्या

पण अबै बठै

बै दिन हा अर

बै व्हाला लोग

बठै फगत ही

अेक अणहुती भीड़

जकी सुण रैयी ही

कीं देख रैयी ही,

बठै फगत

कर रैया हा झोड़

अर हुय रैया हा

गुत्थम-गुत्था

अेक-दूजै सूं।

स्रोत
  • पोथी : कीं तो बोल ,
  • सिरजक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राष्ट्र भाषा प्रचार समिति श्री डूंगरगढ़