सैर री सड़कां

गाँव री गळी ज्यूं कोनी

काळा अर तीखा कांकरां सूं बण्योड़ी है

कुण गयो कुण आयो कीं ठा नीं

स्यांत पसर्योड़ी पड़ी है।

गाँव री गळ्यां

एक दूजी सूं हाथ मिलायां रैवै

आंवतै जांवतै मिनख रा

पगां रा अैनांण राखै,

जूती पैर्योड़ै अर

उभाणै पगां री

ओळखाण करावै।

आदमी अर पसु सार जाणै

टाबर अर बूढै मांयत रा

गोडा को फोड़ै नी।

स्रोत
  • सिरजक : राजदीप सिंह इन्दा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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