गांव में पैली बैर भाग'गी छी कोई छोरी
पड़ौस का कोई छोरां कै सागै!
गळ्यां का घणकरा मुंडा
गरियाळा कै चपक
करबा लागग्या छा चुगल्यां...
काण्या घूघटां सूं झांकती बायरा का कानां में
उग्याई छी आंख्यां
बगत का पळा में बहग्या छा बाप का सुपणां!
सिंयासह देहळ पै पड़ी
अेक जोड़ी चप्पलां
मूंडै बोल रही छी लडवण की पगथळ्यां
माई की पराणी चप्पलां पहण
पैली बैर भाग'गी छी कोई छोरी...
उलांग'गी छी मरजाद की देहळ
जीनै दोन्यूं कुळ न्हं थरपी छी
आपणी हळद सूं नतरती छालां पड़ी हथेळ्यां!
गांव में दिनां ताई
चूतरां पै उठतौ बीड़ी-तम्बाकू को धूंधाड़ो
काळौ करतौ रहयौ
छोरी को ऊजळी उणियारौ...
कहाणी-किस्सां में
लीर'क-लारा होती रही पीळी सांवळी
म्हीनां तांई माई का सुपणां में
झझोड़ती रही क्वाड़!
जै गांव में पैली बैर भाग'गी कोई छोरी
करजा में
डूबबा सूं बचग्यो छौ अेक बाप
माई का धसेड़ा सूं
दूरै घणै दूरै
चलीग्या छा बेटी का कान
पाड़ौस का कोई छोरा कै सागै
गांव में पैली बैर भाग'गी छी कोई छोरी।