गांव थारी परभात

जाणै सावली को काचो रंग

चढती दुपहर जाणै

चामड़ा का चंग

मझ दुपहर

जाणै बाकरा की तांत

सांझ...

जाणै रूई की पूणी

कात डोकरी...और कात।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : अम्बिका दत्त ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम