गैला हा कांई बै मिनख
जिका बदळण नै निकळ्या
इण बैरूपियै जंगळ नै!
कांई बै इत्ता भोळा हा, कै
बांनै कदै ठा ई नीं पड़्यो
कै अठै सिंघां रै खोळियै मांय
रैवै है गादड़ा।
कागला अठै
नाचै है मोरिया बण’र,
लूंकड़्यां करै है बंतळ
गिलार्या बण’र।
कैय दो आं संसार बदळण रो
काळजो राखणिया नै, कै
इण जंगळ नै
बदळण सारू जको ई आयो है,
घर सूं निकळण तक ईज
बो बण्यो रैय सकै है मिनख।
इण जंगळ री पून लागतां ई
बां रो गादड़ो बण जावणो
नीं टाळीजण आळी
कोई अणहूणी हुवैला।