आभै रै लूमतै बादळ सूं

छुडायनै हाथ,

मुळकती-ढुळकती

वा नेन्ही-सी छांट!

छोड़ देह रो खोळ,

सैय परी बिछोह...!

गळगी-हेत में,

रळगी-रेत में।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : राजूराम बिजारणिया ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण