अेक रंग थारै नांव रो
थारे धणियाप रो
फिरूं ओढ़’र
क है तो है
जीवण में बसंत
जियां हर रंग
अेक आप रो रंग ई है
जिण पर नीं
चढ़ै कोई रंग
आया हुवैला
घणां ई रंग जीवण में थारै म्हारै
पण नीं हुयो कोई भी रंग
आपा सो सुरंग
मीत।
आप सूं है हेत हरदम
इयां ई निभायज्यो प्रीत