जिण बाखळ

होंवती हथाई

बठै भींत है

जिण रै

ऐकै पासै रोवो-कूको है

ऐकै पासै गीत है

कुण है कोई रो

अब बठै मीत।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : हनुमान प्रसाद 'बिरकाळी' ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’
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