यो धुवाड़ो आंगास मअें मनख नौ वेरी बण्यौ है

क्यं'क गेस ऊं मनख मस्यं क्यं आधं थ्यं हैं

धुंवाड़ो वेरी बण्यौ है .....

वन वगडं कापी नै बंगला बणाव्या

गार नी झोपड़ियं मअें भाटा जड़ाव्या

फेसन मअें भूलीग्या सुध बुध अमारी

तुरसी नी जगा घर मअें कांटा लगाव्या

आबोहवा क्यं ऊं शुद्ध थाय धुंवाड़ो वेरी बण्यौ है.....

भूली बेठा आजै राग रागीनी अमारी

जणनै गाई पेलै चमत्कार कीधा भारी

आज हाकाहूक करं ऊभा ऊभा डाकं

डिस्को नी लागी गई सबनै बीमारी

भारी शौर ऊं हइयू घबराये प्रदूसण वेरी बण्यू है.....

नदी मअें वेह्तू हतू निरमल पाणी

गटरे मलावी अमें किधू धूर धाणी

वौ पाणी वापरी नै रोग घणा लाग्या

वोही लीधी चामड़ा अर हाड़ नी बीमारी

निरोग पछै क्यं ऊं रेह्वाय यौ पाणी वेरी बण्यू है......

रूंखड़ लगावौ शुद्ध वायरा नजाड़ौ

पाणी वरसेगा पछै रातर नैं दाड़ौ

हाका हूक छोड़ी मीठी तान तमें छेड़ौ

पाणी मले शुद्ध ओवी जुगत विच्यारौ

थाये तौज सबनूं कल्याण जीवन सुखी बण्यू है.....

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : उपेन्द्र अणु ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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