बगत रै वायरै सूं झपीड़ीज
धुड़ग्या केई कोट
ढहग्या लख भाखर
वतूळौ बण उडग्या
कई थळिया-धोरा
बहगी केई बातां समै रै साथै
पण, अजैई कायम है थारी
कीरत
धांधल रा!
तैं चिणियो कीरत हंदौ कोट
विरली वीरत रै पाण
जकौ-
नह धुड़ सकै
नह ढह सकै
नह उड सकै
नह बह सकै
इण री नींव में भरयो तैं
प्रण रै परवाण
कौल निभावण सारू
त्याग अर बलिदान।
भालाळा!
केई जलमिया
इण धरती री कूख
अेक-अेक सूं आगळा
जाहर जूंझार
हरावळ रा हकदार
पण थारो नाम
थारो काम
कित्ता ई कैताणां में अमर रैसी
गाईजसी इतिहास रै पानां
लोक रै कंठां।
धांधल रा!
तैं निभाई ‘रघुकुळ आळी रीत’
जिणमें—
जीमीज्या हा सबरी आळा बोर
वां ईज निभाई पाछी
राम री ओळ
भीलां रै साथै रैवतां।
दीधो
समरसता रो संदेस।
सांवळा ई
कदैई लारै नीं रैया
भायां ज्यूं भेंट
बूवा विकट मारगां।
आस्थान हरा!
केलम रै सारूं
तूं लायो लंकाथळी री सांढियां
सूमरै रै दळ-बळ नैं चीर
तैं पायो पाणी सैंधव नैं
‘लांबै’ री डीगोड़ी पाळां ऊपरां।
अपछर-सुतन!
पैहरी तैं पचरंगी पाग
केसरिये-बागां में सजियो
इधको बींद
धवळै धोरां में दूहा गूंजिया।
अमरांणै अणपार
हुयो हरख-वधाव
जन-जन रै ‘हियै-समद’
उमंग री छौळां ऊमड़ी।
‘केसर-काळमी’ पर
करीजी थारै घोळ
निछरावळ कीनी थारै अणवरां।
सामेळे जुड़िया साचा सैण
सोढां इम रूप थारो पोखियो।
पण, कुण जाणै हो बेमाता रा लेख?
कुण जाणै हो विधना आळो साच?
जको चावै हो
कीरत रै आकास
अेक इतियासू वृतांत।
बांमण उच्चारण लागो हो मंत्र
सोढी झींणै घूंघट ओट
आधी पलकां मूंद
निरख्यो हो थारो उणियारो
चंवरी री प्रजळती अगन में
सैचन्नण सैंरूप।
भुरजाळा!
तूं फेरां रै अधबीच
चंवरी में कंवरी नैं छोड
चढियो भंवरी री पीठ।
झुरता रैयग्या सायधण रा नैण
सासू-सुसरै रो गळ रुंधीज्यो
पण, कौल निभावण काज
रंगभीनी रातां छोड़
रसभीनोड़ा पल त्याग
जुद्ध में मांडयो मोरचो।
मुरधर-मुगट!
तैं खड़काई रण में खाग
गायां री वाहर हरवळ ऊभियो
थारै साथ
कांधै सूं कांधौ मिला’र
भल सुभट भीलां
तांण्यां तणकां तीर-कबाण
चंदो-डेमो
रणखेतां होळी खेलिया।
प्रणधारी पाबू!
परण छोड़
मरण रो वरण करण सारू
तैं भळकायो भालो
समहर-भौम
वाढाळी थारी चमकी ओथ
मझ भादरवै मांय
जाणै कड़की ही आभै बीजळी।
अरि-निकर रै बीच
काळमी हींसी प्रसण-मूंडां ऊपरां
खळ-दळ री छाती बींध
भालै कईयक गाबड़ चीरिया।
सैवट
घणघोर घमसाण बिचाळै
भरीजी रातंबर मांग
रण-सेजां पर तूं जाय’र पोढियो।
मिणधारी!
ब्यांव री केसरिया पाग साथ
जस रो सैहरो तैं बांधियो
छत्रवट री राखी ही आण
माण-मरजादा पोखी प्रघळी
वचनां री राखी तैं लाज
रजवट नै हरियल राखियो।
अै गाईजै थारा
मगरां अर डीगौड़ै डूंगरां
थळियां-धोरां ऊपरां
गीरबैजोगा गीत
भोपां री हुंकारां साथै
रावणहत्था रै माथै
पड़ बांचीजै अजै ऊजळी।