काको पीवे हो अतरी दारू के
माँ झेलो देर लेती थळी के माये
अबे मूं भी पीवा लागयों हूँ।
काको म्हारी लाल आख्या में झांकणे सु कतरावे।
मुंडो फेर माँ ने केवे सम्भाळ इनै थोड़ो