अेक पानू फरू खरीग्यू

रुंख थकी

उमर ऊं पैलै’ज

खरी जावा दीधू पानू

रुंख अै

जेंम व्है

सुभाविक किरिया

पण

हरा बदलाई रई है

वायरा मअें ऊंनापण है

थौडूक आकरापणू भी है

कदाच डौज चालवानी है

फेर खरैंगा पानं

अेक वाहें अेक

रई जायैगा ठूंठ

वौ भी खरी जायैगा

अेक

पाना वजू।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : भविष्यदत्त ‘भविष्य’ ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
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