सदीव
साच नीं हुवै-
दीठ रौ
हरेक दरसाव
पण
अंतस में रेवै-
आखीजूण
भरम रौ भणकारौ।
आंच नीं हुवै
अगन सो
हरेक अंगारौ
भौभर में रेवै
अदीठ-अगन
फूंक दै, पळकारौ।