केवी हांज, केवी हवार।
केवा वार, केवा तेवार।
दाडी ना दाडा हरका।
जारे पेट भरई जाय,
वणे दन वार,
वणे दन तेवार।
स्रोत
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पोथी : जागती जोत (मई 2023)
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सिरजक : नरेन्द्रपाल जैन
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संपादक : मीनाक्षी बोराणा
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प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर