करसो हाड़ी

काटै हो

दांती सूं

आंगळी कटगी

पाटी बांधी

कैई दिना तांई

पीड़ रैई।

घर रा टाबरां नै

बापू रै लाग्योड़ी

पीड़ माथै

घणी सीव आवै।

अेक दिन करसो

खेत में जांटी

काटण लाग रैयो हो।

टाबर साथै गयोड़ा हा

बापू सूं बोल्या

जांटी नै क्यामी काटो हो

इणरै किती पीड़ हुवै

थांनै इण माथै

सीव ही नी आवै

पैली आळी दांती सूं

लाग्योड़ी बात याद दिराय दी।

बापू टाबरां री

सीव अर पीड़ री

बात सुण’र

मून धार लियो।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : गौरीशंकर ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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