पड़ग्यो लागै

अबकाळै

देसूं-देस काळ

ईं सोच में

रामलो मर्यो जावै

अर काढै गाळ

मरग्यो रामलो

बरस्यो कोनी अबकाळै।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : देवकरण जोशी 'दीपक' ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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