मुं बी खेसई रयो हूँ,

बलद हाते।

धान वावते थके।

खेतरं मयें।

कारेक पाणी पडे हरड़ाटबंद,

कारेक तीको तड़को,

थाकी जऊं बलद वजु,

थोड़ोक हा लऊं बई ने,

पसीनो लुवुं।

मकी नो रोटो, कांदो, मरसु गोर

म्हारं पकवान हैं।

किसान

करषो हूँ म्हूं,

अणां देस नो।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (मई 2023) ,
  • सिरजक : नरेन्द्रपाल जैन ,
  • संपादक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर
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