ओज अलौक विराट-महादेव शिव सिर जटा

जिण उपजाया जाट-जूझणजन सारै जगत ||१

ऊजळ अंगां ओप, आस करै ना और री

खुलक-मुलक खैःखोप, नर-कुळ करसै वीर वद ||२

अैड़ो कुण आप, माय-बाप ज्यूं मुलक रो

तप मुरधर री ताप, छाप छोड कमज्या करै ||३

संतां में सिर मौड़, तपसी तन डाढ़ो तपी

पर उपकारां औड़, जगत-सगत जस करसियौ ।।४

कथणी में कड़वास, हिड़दै दरिया हेत री

ऊंडी पूरै आस, जाट जात सैः जूण री ।।५

राजस्थानी रूप, इण धर रो ऊंचो धणी

अबढौ मिनख अनूप, जिरै जूटणो जाटवर ।।६

घी दूधां दरियाह-माता महिलावां तणा

विलस बटावू राह, रंजै जाटां रै घरां ।।७

मिनख बटावू माण, हरख कोड हिवड़ैतणो

ना गिणनो नुकसाण, जाण अमर नर जाट री ||८

जाट सारसी जूण, अवरन देखी आँख सूं

पोख छतीसूं पूण, अन्न भोगवै ऊबर्यो ।।६

उमदा अन्न उपाय, खाट कमाई खैः खरी

दूजो चढै दाय, जाट बरोबर जगत बिच ||१०

जाटां रै घर जोर, दही दबटवां माटकां

खाय बटावू खोर, आयां नै उथबै नहीं ।।११

गायां मच गैःगट्ट, ऊंटां टोळां ऊछरै

भैंस्यां भेळा भट्ट, घोड़ हँसै करसां घरां || १२

भाईपै में भूप, त्यागी रागी तेज रळ

सागी ततवै सूप, सार-सार जाटो सुलै ।।१३

जोधो जाट जुवान, गुण आगळ गाबड़ निवै

खोटी बातां खान, कदे सवै ना कुलछ सिर ।।१४

कोड़ां जुद्ध कियाह, पाट पातसां पोरड़ां

डट डोळा दियाह, जाट वीर होया जबर ।।१५

परसै मिनखां पीड़, सळियो मिनखापो सजै

भायां भांगण भीड़, जाम सुलखणो जाट सत ।।१६

सेवा रो सिणगार, फबै रूप रावत फरण

बिन सेवा बोहार, जाट जँचै कद जगतकूं ।।१७

जोसी जिगरल जोड़, बाँथ घाल बाण्यों मिलै

छत्री सबै छोड़, कोड जाट जुड़णै करै ।।१८

मैमा गावण गोत, भेदू भगती भाव भर

जुड़ै खेती जोत, पचै जाट आंः परघरां ।।१६

सूकै आई साख, कार-मजूरी मन करै

भखै हीणी भाख, जाट जबर गुण गीरबो ।। २०

मोटा मैंणत मांह, खोटा खईस खोरसै

रईस रोटारांह, जीमण जोटां जाट घर ।।२१

घी-दूधां रै घोळ-मोळ, रोःळ रुळ मारणै

प्यारा वाजै पोळ, जाचक जाँचै जाट जद ||२२

थळी आपरा थाट, रळी लाट खेतां रव़ै

घरां मांगळी घाट, जाट हाट होकां जुड़ै ||२३

मुरधर अकरी मेढ, डेढ दुसमणा डार री

टोळ उकीलां टेढ, गेड जाट गोलां गिरै ।।२४

पुखता पुरख पटेल, नाँवै नम्बरदार नर

गजब चौधरी गेल, आज कहीजै आर्यवर ||२५

संसारी सिरदार, महिपत मुरधर मानखै

घिण धोरां धर धार, आँट जाँट ओरां जुड़े ||२६

भोम हटावण भार, मिनखांजूणी माजनो

देवां ज्यूं दातार, जबर जमारो जाट रो ।।२७

ओढै कामळ ऊन, गोडै रेजी गढवड़ी

पैरै डीलां पून, जूण संतोखी जाट री ||२८

भोळा भज भूतेस, भागबळी वित भोगवै

देव जाट मरु देस, ईस उण्यारै ऊघड़ै ||२६

कठै किसन अर राम, महादेव धर मुरधरा

जगती जाटो जाम, गोकळ स्याम सणा-गुणां ||३०

सिवरां जाण सुजाण, जोड़ां कर जाम्भे-जसै

अध्यातम री आण, परचा दीन्हा परतखां ।।३१

केसव-केसव कार, संत सार उपकार अड़

तम मूरखता मार, विद्या मरू बलब चसी ||३२

पटियाळै परभोम, नाभै, जीन्द नरेन्दरां

कुसळ जाट भड़कोम, भरतपुरै भारत सिरै ।। ३३

गाढै गुण गोदार, भादू जाणी भोमियां

कुळजग रो किरतार, कुंभो जैपर कीरतां ||३४

जान्दू, बांभू जाट, कसवां, लेघा, कूकणा

थोरी, सिहाग थाट, नैण, पूनियां न्याव पर || ३५

साहूकार सरोढ, ढोरां-मोरां ढालड़ी

वोपारी गुण बोढ, नौकर निंवतो जाट जग ।। ३६

सम्पत सुर सिरधार, सुम्मत रो सैंठो धणी

दुनियां में दातार, बल्लभ विदवो जाट जग ।।३७

सारण सुबधी माथ, स्हामन साधोराम सा

हरख मिलावण हाथ, मेळ करण मूं'सेळकर ||३८

अक्कल हुया उजीर, हँसणा हठी हमीर सा

जिरै-जाब हद हीर, जँवर जाट अर फोगसी ||३६

चंचळ मनड़ां चोळ, भादर भारत भिड़णियां

अंगरेजां गुण ओळ, पुळ-पाबंदी जाट जुग ॥४०

सूरजमल सदवीर, पाण्डू, सुजाण, पूरणो

धजबंधी धरधीर, पूळो, मेखो, जाट जर ||४१

विखै बखत रै वाग, खमखटियो खाड्रेत खग

रजपूतांळी राग, लोच वीरता लोटियो || ४२

ब्हैरा आपण बाण, वध ठग वाण्यां वीनवण

हद अंधारै हाण, जाट माण विसरण जगत ||४३

नाँवै नरपत नाथ, खेती खड़ वाजै खरा

हिचक हिलै ना हाथ, उद्यम अड़ै जाट ज्यूं ।।४४

सीखां धार सुवाय, कळा-ग्यान कौसळ किसब

पण पेटां री लाय, करसण करसा दाटसी ।।४५

जाट खुखनियां खार, डील उघाड़ै ऊँट चढ

ऊमस आरोपार, पाळै पच खेती खड़ै ||४६

सरविस दटण दुकान, दाना देस-दिसावरां

पण खेती खड़ खान, जाट मोरचै जड़ मुड़ै ।। ४७

ना किरसी रो कोड, गूंगा भोड, भल भरै

अक्कल अड़वा ओड, करसां आगे कर करण ।।४८

राजथान रै राज, नहरां नेता ग्यान नव

जाट कळा कढ काज, गुण विद्यालै संगरियै ।।४६

भाग करमने भेळ, भाग विधाता निज वणै

ऊभै अन-धन खेळ, जाट कमाऊ करसणी ।।५०

मानवता अणमाप, गई बला आपै वरण

खुद खारी गत ताप, औरां उदात जाट मन ।। ५१

मिनखपणौ मुरजाद वसै कड़ूंबै वैर बिच

ल्यै भायां लखदाद, भीड़्यां भीडू जाट जग ।। ५२

घसक कड़ूंबै भाव, खेता, चेता, हेतिया

हुआ रिसाळू राव, जोरा, नेता जाट नर | | ५३

सबळ जतन संसार, मिनखजूण विरमा रची

विध ना वणी हजार, जाट बरोबर जात वर ।।५४

आडंबर री आभ, आज दुनी देखै अकल

गुण वंदण, बिन गाभ, करसां कुळ मोटो मिणै ।। ५५

वडा वाजणै कोड, राजा, नेतां पंडितां

हरखत डाढी होड, विसण रूप पण जाट जण ।। ५६

धोखा धाड़ सजोत, राजनीति नेता रमै

पण जाट द्यै पोत, ऊलफैल ओगण बिना ।। ५७

जाट मानवी जात, देवत मन दीखै प्रगट

गात गुणां प्रभात, बाळपणै सूं ऊजळै ॥५८

टाबर टीकर टोळ-करसै कमतर-टापरै

मावां मन री ओळ-धन पसुवां लग चाकरी ।।५९

मन-मुख बिन पाखंड, माण मिलणसारी सजण

नाँवो नभ नव-खंड, जगत ऊजळो जाट जस ।।६०

हरखण मिमता हेत, आगैं-पाछै अकसो

खुस मन खरणै खेत, सोबत सांची जाट री ||६१

जग में चसगी जोत, राजनीति भो-भीति भर

रजवाड़ां रा तोत, जुलम मिटाया जाट सैः || ६२

जाटां रा दिल जोय, हर नर मन हुलसै हिलै

देवत वातां दोय, माण-मिलण, नै सादगी || ६३

वेद-पुराणां पाठ, भणगुण जाणो सरळ गुण

जाट आगड़ा थाट, अग्गम वरदा आपरी ।।६४

कपिल मुनिश्वरधाम, पावण तीर्थ मरुधरा

जाटां ऊँचो नाम, धर्मशाळ फहरै धजा ।। ६५

जय हो जाट जुवान, जय किसाण करसण जगां

अन्न उपावण आन, झ्यान ऊबकै मुख लखै ||६६

दगी सास्तरी दात, जय जुवान किरसाण जय

रैगी रूड़ी ख्यात, ख्याँत करो करसण करण ।। ६७

सूर बंक सम्राट, कुरप कचेड़ी चौधरी

नहीं न्याव में नाट, प्रण धन, तन-मन सिंघ घर ||६८

अन्नदात अवतार, मन माँझी स्रिस्टी सिरै

तन तूठण दातार, जात चौधरी अमर जन ।। ६६

जगत जोरावर जाट, वरत करसणी बोवणी

परब मरुधरा पाट, वरसा रुत राजा वणण ।।७०

गुरुवां में वड माय, घी मोटो घर ओखदां

रख-पख साख सवाय, गोत वसेपै जाट गुण ।।७१

स्रोत
  • पोथी : दस दात ,
  • सिरजक : साहित्य महोपाध्याय नानूराम संस्कर्ता ,
  • प्रकाशक : लोक साहित्य प्रतिष्ठान, कालू-बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै