आज म्हारा पीऊ घर आया, दिवाली रा दीवट जळाया।

घर-घर आंगणिया दीपाया, दिवाळी रा दीवट जळाया॥

कुण तो पुराया कंकू रा चौक जी,

कुण तो अे मांडणा मंडाया,

दिवाळी रा दीवट जळाया।

नानी नणद बाई चौक पुराया,

साथणियां मांडणा मंडाया,

दिवाळी रा दीवट जळाया।

कुण तो अे मंगळ कळस बंधाया,

कुण तो बधावणा गवाया,

दिवाळी रा दीवट जळाया।

घर री गोरजा कळस बंधाया,

सासू जी बधावा गवाया,

दिवाळी रा दीवट जळाया।

कुण तो माथै रो मोड़ है गौरी,

किण नै हीवड़ै सूं लगाया,

दिवाळी रा दीवट जळाया।

माथै रा मोड़ म्हारा प्यारा ससुर जी,

हीवड़ै रा हार सासू जाया,

दिवाळी रा दीवट जळाया।

कुण कर्‌या रूसणा, कुण है मनाया,

कुण रा तो बोल मनड़ै भाया,

दिवाळी रा दीवट जळाया।

देवरीयो रूसै तो भावज मनाया,

पिव जी रा बोल मनड़ै भाया,

दिवाळी रा दीवट जळाया।

स्रोत
  • पोथी : आखर मंडिया मांडणा ,
  • सिरजक : फतहलाल गुर्जर ‘अनोखा’ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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