कद मिटै अगन मन रै चूल्है री

कीं भोभर तो रैई जावै

फेर सिलग आवै नेह

किंरी फूंक मिलता पाण!

सुजैड़ी आंख्यां री अनैनी

लुक जावै लाली पोडर लगा'र

पण कद मिटै नील पड़ेड़ी काळजै बिचाळै।

स्रोत
  • सिरजक : प्रियंका भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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