एकलपै री

अबखाई

कमती लागै

जद-जद मैं याद करूं

अपणेसां री भीड़ में

भुंईज्योडै

किणी सैंग

एकले मिनख नै!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : शारदा कृष्ण ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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