मत समझ

कदै अदनो दरखत

ईं धरती पर फगत

दरखत री ही बरकत!

काळ सूं झगड़तै

जीव मातर री

ढाळ फगत दरखत!

बिखौ काटण री

जीवती-जागती

मिसाल फगत दरखत!

करै आखी जीयाजूंण नै

न्ह्याल फगत दरखत!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : भंवरसिंह सामौर
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