च्यारे मेरे धरती माथे, मनख मनख ने खाई रयू है।
बम - गोलं नी बत्तीयं ने काटौ हाईने रूई रयू है।
जीव-जलापे पूछूं हूं म्हूं आवी रचना केम बणी?
बम धणी तू कई दे आणी धरती नो कुंण धणी?
मुटा-मुटा बांध बणी ग्या, डूंगरे दीवा थई रया हैं।
आबे उड़ता पवन झरोखे वाते करता थई ग्या हैं।
दुख ना दरिया हुकाई ग्या पण सुख ने लाव्या ताणी।
राम धणी तू कई दे आणी धरती नो कुंण धणी?
आतंक अत्याचार नी दौरे घोर माथे नाकें हैं।
सोसण नी जंजीरे लांबी हाथ में काठी राखें हैं।
लांबी-चौड़ी दुनियां में ते आवी जनता केम जणी?
राम धणी तू कई दे आणी धरती नो कुंण धणी?
लंदन सरखं सैरं ने अ बम-गोले न्हें छुड्यं हैं।
अमरीका नं सेंटर ने धोरे दाड़े तुड्यं हैं।
ग्यानी-मानी हस्तियं ने तरा पड़ी घणी-घणी।
राम धणी तू कई दे आणी धरती नो कुंण धणी?
रिस्वत भ्रस्टाचार वधी ग्या खोटी दानेत हाई रयु है।
छेतरं - लत्तं छोड़ी दईने डांस बार में रूई रयु है।
धरम ध्यान नी भरत खंड में छुटी गई सब वाणी।
राम धणी तू कई दे आणी धरती नो कुंण धणी?