लाम्बी भुजावां
फैलायां
आंमी-सांमी
सूरज अर उफणती रेत
किरण्यां रै पगलिया
उतरतो
गरमावतो
आपरै ही मिजाज में
अपमत्तो
ओ सूरज
ओ मचंग दुपारौ!