दुखड़ा री घडयाँ लाम्बी होवै घणी,
दुख आवै जद आँगणै,
बैरो पड़े कुण आपणो कुण परायो।
तन रा गाबा बैरी हो जावै।
मा जाया रिसता ही छैटी हो जावै।
पण
किकै भी सामै को'नी रोणौ।
अबाणू मीठा बोल्सी,
पाछै मखौल उडासी।
सबसूँ म्हारौ यो ही केणौ
हिल-मिल'र रेणौ,
राजी-राजी जीणौ।
हिम्मत सूँ काम लेणौ,
यो बखत भी कट जासी।
अेक दण सुख री घडियाँ भी आसी।