अेक
ओ स्वारथ रा मीत!
समझलै म्हारै मन री प्रीत।
म्हारै मनड़ै राज
लुक्योड़ा लूंठा-लूंठा
आवंतड़ा तूफान
रूक्योड़ा सूंठा-सूंठा
म्हैं दरदी टेरां रै सागै
गाया है मुळकण रा गीत।
म्हारै मन रो तार
तंबूरै! थारै मनड़ै लाग्यो
खुद नै देय बिसार
हेत सूं थारै लारै भाग्यो
म्हारै जीतां हार सदाई
थारै जीतां जीत।
दोय
कुरजां! थूं प्रीतां पाळी अे।
बरसां सूं अंतस री बातां
कैयी थां सूं आतां-जातां
उफण्यै जोबन दूध
नेह री छांटा राळी अे।
थारै स्हारै बिरहण जीगी
जेर बिजोग बा हंसतां पीगी
सुण, थारै संगळी बैठ
बिजोगण रातां गाळी अे।
थूं सुहाग री धा बड़भागण
थारो चुड़लो अखंड सुहागण
आती जाती रीजै नितका
करस्या बातां भाळी अे।