किणनै करे पुकार लाडली।

समझी जावै भार लाडली।

मुस्कल बचणी कोख मांय तू,

बापू रै घर घ्यार लाडली।

कोख बची तो बैठ्यो आगै,

दैत्य दहेजी त्यार लाडली।

बता बचासी कठै आबरू,

मिन्दर मांय सियार लाडली।

बचती चालैली कुण कुण स्यूँ,

रखवाळा खुद लारै लाडली।

दसवें दिन बे तंज कसे जो,

नो दिन पूजै नार लाडली।

पाप्यां नैं भी देख बचावै,

हिंदू मियां बता’र लाडली!

कैवे राज बचाओ बैट्याँ

अब जाण्यो है सार लाडली।

बैठ्या है हर गळी भेड़िया,

राखूं कठै छिपार लाडली।

टीवी में दीदी क्यों रोवै,

पूछे कनै बुला’र लाडली।

कैयां था’रै सामै पढ़ल्यूँ,

खून भरियो अखबार लाडली।

और देस में ज्याजै लाड़ो,

अठै पड़े ना पार लाडली।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : हरिराम गोपालपुरा ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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