बीयां तो 
औपरै 
कुत्तै रै लारै 
सगळा 
कुत्ता लागज्या 
पण 
जे 
उण रो धणी 
साथै हुवै तो 
बो 
कीं दिवाळ नीं। 
 
                
                    
                        स्रोत
                            
                                    - 
                                        पोथी : राजस्थली
                                            ,
                                    
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                                        सिरजक : मनोजकुमार स्वामी
                                            ,
                                    
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                                        संपादक : श्याम महर्षि
                                            ,
                                    
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                                        प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति (बीकानेर)