दिल मिलणी रा मेळा भाई,

दिल मिलणी रा मेळा

नीं तौ निपट अकेला भाई

नीं तौ निपट अकेला

गूंगा री गत गूंगा जाणै

और जाणै कोई

उण री बातां वै ही समझै,

जो जिण गत रौ होई

मन में कोई कीकर झांकै,

किण रा मन है मेला भाई

हेत हूवै तौ साथै नाचै,

पायल री झणकार

नै-सैण री बात समझलै,

हिवङै हेत अपार

पायलङी छम-छम बाजै

चंग बजावै छैला भाई

गळै मिलण सूं कीकर जाणां,

मन छिपियोङी बातां

हाथ मिलायां कीकर दरसै,

हियै छिपी अपघातां

हेत प्रीत सूं रैवण वाळौ,

वौ ही अठै बचैला भाई।

स्रोत
  • पोथी : अंतस रौ उजास ,
  • सिरजक : रज़ा मोहम्मद खान ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै