अै च्यार ढिगळ्यां

माटी री

ढिगळ्यां बिचाळै

नर कंकाळ।

ढिगळ्यां नीं

मांची रा पागा है

इण मांची माथै

सूत्यो हो

कोई बटाउ

उडीकतो

मनवार री थाळी नै

मनवार रै हाथां सूं पै'ली

ढूकी खंख आभै सूं

जकी उठाई है।

आज आप

आपरै हाथां

पण परोटै कुण?

स्रोत
  • पोथी : आंख भर चितराम ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण