धोबो भर् यो पाणी रो

आंख्यां सारू

छाबका मारू

सांयत मिळै, हिवड़ै नै

धोबो भर्‌योड़े पांणी में देख्यो

थूं हांसती दिखी

थूं देखती रैयी टकटकी सूं

म्हनै

म्हूं जुगत कर् ‌यो

पांणी सूं धोबो भर् योड़ो रैवै

पण रोक'र नीं राख सक्यो

पांणी नै

धोबै में

आंख्यां सारू।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : गौरीशंकर ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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