दफ्तर बाण्णै

ऊभा चपड़ासी ने क्यूं

साब ने मलवू है

साब मिटिंग मअें हैं

बाण्णै लखैलू पाटीयू

रिसवत आलवी अपराध है

वांची ने हीरे

दस नौ नोट आल्यौ!

चपड़ासी बौल्यौ

तमैं समझदार हौ

साब कुरसी माथै हैं

मलवा जाई सकौ

पाटीयू तौ अमारी ढाल है।

स्रोत
  • सिरजक : भोगलाल पाटीदार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी