मारू देश बणिग्यो है उकल्लो

वाइदू वरावे ऐटकू करावे, इनमे नाके मारू गाम ने

मारो मोहल्लो...। मारू देश...

मारे देश नी हालत देको केटला भमता थई गया

एटम बम नी मार थकी आयं केटलाके तो मरी गया

नाना-नाना मोटा-मोटा के आवेंगा आटला मोगा

एम करी ने देश ने बल्ले केटलाके तो बरी गया

गणा खांय है ऊना रूटला, हूको गरीब खाय रूटल्लो। मारू देश...

तमे कैम मरो ने मारी केम नाको

आटलु देकी जीवते तमे केस जागो

भेगा करो आणं मुटियाडं ने

जे पेरिनाक्यो विदेशी वागो

एक आमनु जाहे ने एक आमनु वरावे है

ऐणा बल्ले तो देश है मोटो हूंल्लो। मारू देश...

उकल्ला मय ये गणी ताजी-ताजी सिजे रंय

सार थई ने हडी थुडी जय

भगत सिंह ने ये उपर रई ने जुवे है

कइये मुटियाडे पेरयो सुल्लो। मारू देश...

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : महेश देव भट्ट ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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