मुरधर री रेत

रेत नीं है फगत

आभै सूं झड़ियोड़ा

तारा है

अजै झिलमिलावै जका

सूरज रै परकास अर

चांद रै उजास मांय

मुरधर रा रूंख

रूंख नीं है फगत

देवतावां रा सुपना है

नीं हुय सक्या जका

भस्मीभूत

बगत रै हवनकुंड मांय

अजै राखै हूंस

अंतस रै बूंद दो बूंद

पाणी सूं हरियावण री

मुरधर रा मिनख

मिनख नीं है फगत

धरती पर आयोड़ा देवदूत है

रीझग्या हा जका

धरती रै जीवण री

सौरम पर

जद तो

जीवण री अबखांयां

अर मौसम री

मिजळायां बिचाळै भी

राखै सत

निभावै पत

जीवण रो मान राखै

सरणागत रो ध्यान राखै

पसेवै सूं मोती उपजावै

मान माथै प्राण लुटावै

मुरधर

रेत रो समंदर

नीं है फगत

मिनख री हूंस रो

अणमाप पसराव है।

स्रोत
  • पोथी : कंवळी कूंपळ प्रीत री ,
  • सिरजक : रेणुका व्यास 'नीलम' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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